छत्तीसगढ़ : कवर्धा
सनातन धर्म अनुसार नवरात्रि की प्रथम दिवस के दिन प्रज्वलित ज्योति कलश एवं बोये जंवारा को अष्टमी के दूसरे दिन यानि नवमी को श्रद्धालुओं के द्वारा भक्ति गीतों के साथ विसर्जित किया जाता है , ज्योति कलश को माताएँ एवं बहनें सिर पर उठा के पूरे गाँव के गली से होते हुये नदी या तालाब तक ले जाती है ,वहाँ पूरे विधि विधान से पुजा अर्चना कर बोये हुये जंवारा को विसर्जित (जिसे गंगा स्नान भी कहा जाता है ) की प्रक्रिया पूरी किया जाता है , इस दौरान जिसके ऊपर माता सवार होती है जिसे देवता चढ़ना भी कहते हैं , वो नाचते हुये इस यात्रा मे भक्ति सहित बैगा द्वारा हूम हवन कर शांत कराया जाता है |
सूतियापाठ बांध से लगा हुआ ग्राम भइसबोड़ की ज्योति जंवारा विसर्जन
विसर्जन पश्चात फिर गाँव के गली से होते हुये मुख्य स्थान तक लाया जाता है फिर प्रसाद के रूप में जंवारा और प्रसाद सबको बाँट दिया जाता है |